
अभी तक समझ नहीं पाये तेरे इन फैसलो
को
ऐ खुदा..!
.
उसके हक़दार हम नहीं...
या....
हमारी दुआओ में दम नहीं.
रिश्तों से बड़ी चाहत क्या होगी,
दोस्ती से बड़ी इबादत क्या होगी,
जिसे दोस्त मिल सके कोई आप जैसा,
उसे ज़िंदगी से कोई और शिकायत क्या
होगी।

Users browsing this forum: No registered users and 37 guests